हम अभी पूरी तरह से कर्मवीर नहीं बने हैं और हमें खुद को कर्मवीर बनाने के लिए कर्मनिष्ठ बनाना होगा । कर्मवीर बनने के लिए कर्म करने की आवश्यकता होती है। कर्मठ बनना पड़ता है। हमें समय का महत्व समझना होगा , परिश्रमी बना होगा तथा आलस्य को त्यागना होगा। मन, वचन एवं कर्म से एक रहना होगा ।
उपरोक्त कर्मवीर गुणों को अपने में उतारकर हम स्वयं को कर्मवीर बना सकते है । कर्मवीर बाधाओं से घबराते नहीं है वे भाग्य भरोसे नहीं रहते । कर्मवीर आज के कार्य को आज ही कर लेते है । वह भाग्य के भरोसे रहकर दुख नहीं भोगते और ना ही पछताते है । कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं जाने देते है । वे मेहनत करने से जी नहीं चुराते है।वह काम से जी नहीं चुराते हैं । कर्मवीर कठिन–से-कठिन परिस्थितियों में भी कठिन कार्य कर दिखाते है । जिस कार्य को आरम्भ करते हैं, उसे पूरा करके ही छोड़ते है। कर्मवीर उलझनों के बीच में उत्साहित दिखते हैं। यदि हमारे अंदर ये सभी गुण आ जाएं तो हम भी कर्मवीर है।
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