‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमेशा सत्य का पालन करना चाहिए। ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक हमें सत्य के पालन करने की सीख देता है। यह हमें सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देता है। इस नाटक के माध्यम से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में कैसी भी कठिन परिस्थितियां क्यों ना आ जाए, लेकिन हमें सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। अंत में सत्य की ही विजय होती है यह बात भी इस नाटक के माध्यम से सीखने को मिलता है। ये नाटक हमें झूठ से दूर रहने की सीख देता है।
सत्य हरिश्चंद्र नाटक राजा हरिश्चंद्र के जीवन पर आधारित नाटक है। राजा हरिश्चंद्र सूर्यवंशी राजा थे, वह कभी भी झूठ नहीं बोलते थे। सत्य का पालन करने के लिए उन्होंने सब कुछ त्याग दिया। सत्य के मार्ग पर चलने के लिए उन्हे अपना राजपाट तक त्यागना पड़ा। यहाँ तक कि एक समय उन्हें अपनी पत्नी और पुत्र को भी त्यागना पड़ा। लेकिन उन्होंने सत्य का साथ नही छोड़ा। अंत में सत्य के मार्ग पर चलने का उन्हे अच्छा फल ही मिला और उन्हे अपना खोया हुआ सब कुछ वापस मिल गया।
इस तरह अंत में सत्य की ही विजय होती है। इसलिए सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।