सागर पार करने की इच्छा मन में ही क्यों रह गई? (‘उनको प्रणाम’ कविता)

सागर पार करने की इच्छा मन में ही इसलिए रह गई क्योंकि  वे लोग छोटी सी नाव लेकर सागर पार करने की इच्छा लेकर निकले थे। छोटी सी नौका के द्वारा विशाल सागर को पर नहीं किया जा सकता। बड़े-बड़े कार्यो को सिद्ध करने के लिए बड़े-बड़े हौसले और बड़ी-बड़ी योजनाओं और साधनों की आवश्यकता होती है। विशाल सागर के सामने उनकी नौका बहुत छोटी थी। इस नौका से सागर को पार नही किया जा सकता था।  यही कारण था कि सागर को पार करने की उनकी इच्छा मन में ही रह गई और वे बीच सागर में विलीन हो गए।

हालाँकि उनके प्रयास को सराहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कम से कम प्रयास तो किया। भले ही वह अपने लक्ष्य को पा नहीं सके।

‘उनको प्रणाम’ कविता में कवि नागार्जुन ऐसे लोगो को प्रणाम करते हैं जो अपने लक्ष्यों को जीवन में पा नहीं सके। अपने लक्ष्य की प्राप्ति में वह असफल हो गए और लक्ष्यों को पाने की कोशिश में वह रास्ते में ही खत्म हो गए।

फिर भी कवि ऐसे लोगो को प्रणाम करते हैं क्योकि कवि के अनुसार ऐसे लोगों ने कम से कम प्रयास को तो किया। भले ही वह अपने लक्ष्य को पा नही सके और असफल हो गए लेकिन उनके प्रयास तो किया। कवि ऐसे लोगों की कर्मठता को प्रणाम करते हैं।


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