लोग चूड़ियों के बदले अनाज ले जाया करते थे।
‘लाख की चूड़ियां’ पाठ में बदलू लाख की चूड़ियां बनाता था। वह चूड़ियों के बदले पैसे नहीं लेता था बल्कि वस्तु विनिमय करता था और जो लोग उससे चूड़ियां ले जाते वे अनाज के बदले उससे चूड़ियां ले जाते थे। बदलू का स्वभाव बहुत सरल था। वो किसी से झगड़ता नहीं था वह अपने अनाज और अन्य जरूरत की चीजों के बदले अपनी चूड़ियां दे दे जाता। उस समय यह वस्तु विनिमय का तरीका था। हाँ, जब कभी शादी विवाह का अवसर होता था तो वह चूड़ियां के बदले पैसे भी ले लेता था। गाँव में किसी की शादी-विवाह के मौके पर कपड़े, अनाज, रुपए आदि लेता था। सामान्य तौर पर चूड़ियों के बदले अनाज या अन्य कोई जरूरी वस्तु ही लेता था।
‘लाख की चूड़ियाँ’ पाठ ‘कामतानाथ’ द्वारा लिखा गया है। उसमे बदलू नाम के कारीगर का वर्णन किया गया है जो कि लाख की चूड़ियाँ बनाता था। उसकी बनाई लाख की चूड़ियों की बहुत मांग थी। उसके गाँव एवं आसपास के गाँव से लोग आकर उसकी लाख की चूड़ियाँ ले जाते थे और बदले में उसे अनाज आदि दे जाते थे। बदलू का काम बड़ा अच्छा चल रहा था। लेकिन काँच की चूड़ियों का प्रचलन बढ़ने पर बदलू की बनाई लाख की चूड़ियों की मांग कम हो गई और धीरे-धीरे उसका धंधा चौपट हो गया।
संदर्भ पाठ :
‘लाख की चूड़ियाँ’, कामतानाथ (कक्षा – 8, पाठ – 2)
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