बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ ना कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था? (लाख की चूड़ियाँ)

बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था, क्योंकि लेखक के मामा के गाँव में बदलू नाम का एक व्यक्ति रहता था, जो लाख की चूड़ियाँ बनाता था। बदलू से लेखक को रंग-बिरंगी लाख की गोलियां मिलती थीं। चूँकि लेखक उस समय बच्चा था तो किसी भी बच्चे के लिए रंग-बिरंगी गोलियां मन को मोहने का कार्य करती थीं। इसीलिए लेखक मामा के गाँव में बड़े चाव से जाता था और बदलू से ढेर सारी लाख की गोलियां लेता था। जब वह अपने मामा के गाँव से वापस आता था तो उसके पास ढेरों लाख की रंग-बिरंगी गोलियां होती थीं।

लेखक बदलू को बदलू मामा ना कहकर बदलू काका इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सभी बच्चे उसे बदलू काका ही कहा करते थे। लेखक के मामा के गाँव का होने के कारण लेखक द्वारा बदलू को मामा कहना चाहिए था, लेकिन वह बदलू को बदलू काका कहता था क्योंकि गाँव के सभी बच्चे बबलू को बबलू काका ही कहा करते थे। इसी कारण लेखक ने भी बदलू को बदलू काका कहकर पुकारना शुरू कर दिया।

संदर्भ पाठ

‘लाख की चूडियाँ’ पाठ कामता प्रसाद द्वारा लिखा गया एक ऐसा पाठ है, जिसमें लाख की चूड़ियां बनाने वाले बदलू नामक व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जो लाख की चूड़ियां बनाता था लेकिन धीरे-धीरे कांच की चूड़ियां होने के कारण उसकी लाख की चूड़ियां की बिक्री कम होने लगी और उसका धंधा बंद हो गया। (‘लाख की चूड़ियाँ’, पाठ 2, कक्षा 11)


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