बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्यथा थी, जो लेखक से छिपी ना रह सकी?

जब लेखक अपने मामा के गाँव आया और बदलू से मिलने बदलू के पास गया तो बदलू का चेहरा बुझा-बुझा सा था। बदलू से बातचीत में पता चला कि बदलू का लाख की चूड़ियों का धंधा कई सालों से बंद है। उसकी लाख की बनी चूड़ियों की अब कोई मांग नहीं थी। अब गाँव-गाँव में कांच की चूड़ियों का प्रचार हो गया है। यह कहते-कहते बदलू का चेहरा उतर गया था। लेखक चुप रहा।

लेखक को लगने लगा कि बदलू के अंदर कोई बहुत बड़ी व्यथा छुपी हुई है। लेखक ने अनुमान लगा लिया कि मशीनी युग के कारण कांच की चूड़ियां बनने से उसका लाख की चूड़ियों का जो धंधा चौपट हुआ है, वही व्यथा उसके मन की व्यथा है। दरअसल बदलू लाख की चूड़ियां अपने हाथों से अपने हुनर द्वारा बनाता था जबकि काँच की चूड़ियां मशीनों से फटाफट बनती थी।

मशीन द्वारा बनने वाली रंग-बिरंगी काँच की चूड़ियां का मुकाबला बदलू अपनी लाख की चूड़ियां द्वारा नहीं कर पाया और कांच की चूड़ियों के प्रचार ने उसकी लाख की चूड़ियों की मांग कर दी। यही व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।

संदर्भ पाठ :
‘लाख की चूडियाँ’ पाठ कामतानाथ द्वारा लिखा गया एक ऐसा पाठ है, जिसमें लाख की चूड़ियां बनाने वाले बदलू नामक व्यक्ति के बारे में बताया गया है, जो लाख की चूड़ियां बनाता था लेकिन धीरे-धीरे कांच की चूड़ियां होने के कारण उसकी लाख की चूड़ियां की बिक्री कम होने लगी और उसका धंधा बंद हो गया।

(‘लाख की चूड़िया’, पाठ 2, कक्षा 11)


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बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ ना कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था? (लाख की चूड़ियाँ)

मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं? इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?

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