बच्चे की मुस्कान में इतनी प्रफुल्लता, इतनी जीवंतता होती है कि वह उदासीन एवं गंभीर चेहरे में भी प्रसन्नता भर देती है। बच्चे की मुस्कान निश्छल ,कोमल, निस्वार्थ , सच्ची और मनोहर होती है। बच्चे की मुस्कान सबको अपनी ओर आकर्षित करती है एवं आनंद प्रदान करती है। उस मुस्कान में ऐसा अपार सुख है कि मरे हुए व्यक्ति में भी प्राणों का संचार कर देती है अर्थात ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा जो बालक की मुस्कान को प्राप्त कर प्रसन्नता से न भर उठे। बच्चे बहुत मासूम होते है। वह अपने साफ दिल से सब को खुश रखते हैं। बच्चे अपनी बातों से सबका मन खुश कर देते है । यह सही कहा गया कि बच्चे की मुस्कान मृतक में भी जान डाल देती है।
संदर्भ पाठ : ‘ये दंतुरित मुस्कान’ — नागार्जुन |