‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ में लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें धोखा दिया है, फिर भी वह निराश नहीं है। इस बात का मुख्य कारण यह है कि लेखक को जहाँ कई बार जीवन में कई लोगों से धोखा मिला है, वहीं लेखक के जीवन में अनेक अवसर ऐसे भी आए हैं, जब लेखक की लोगों ने सहायता भी की थी या लेखक लोगों को एक-दूसरे की सहायता करते हुए देखा है।
अपनी बातों को सिद्ध करने के लिए लेखक ने दो घटनाओं का उदाहरण भी दिया है। जब एक बार वह जल्दबाजी में लेखक टिकट बाबू से टिकट लेते समय अपने पैसे भूल गया और ट्रेन में बैठ गया। तब टिकट बाबू से लेखक को ढूंढते हुए आए और लेखक के बचे हुए पैसे लौटा दिए। तब लेखक यह विश्वास हो गया कि दुनिया में आज भी ईमानदारी जीवित है।
दूसरी घटना में जब लेखक जिस से बस से यात्रा कर रहा था, वो रास्ते में खराब हो गई और बस में कई सवारियों के पास छोटे बच्चे थे, जो भूख से तड़प रहे थे। तब कंडक्टर किसी तरह दूसरी बस लेकर आया और साथ में बच्चों के लिए दूध भी लेकर आया। इससे लेखक को विश्वास हो गया कि मानवता भी जिंदा है।
यही कारण है लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें धोखा दिया है, लेकिन फिर भी वह निराश नहीं हैं, क्योंकि कुछ अच्छे लोग अभी भी हैं, जिसने कारण मानवता अभी भी जीवित है।
संदर्भ पाठ
पाठ ‘क्या निराश हुआ जाये’ – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, (कक्षा – 8, पाठ – 8)
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