हीरा-मोती के प्रति गया का व्यवहार हमें बिल्कुल ही अमानवीय लगता है। गया एक बेहद असंवेदनशील व्यक्ति था जिसने हीरा-मोती जैसे मूक प्राणियों के प्रति जरा भी दया नही दिखाई। उसका व्यवहार मानवता की कसौटी पर खरा नहीं उतरता था।
गया बिल्कुल ही स्वार्थी व्यक्ति था, वह अपने बहनोई झूरी से उसके दोनों बैल हीरा और मोती को इसलिए मांग कर ले गया था क्योंकि उसे अपने खेतों में जुताई की जरूरत थी। वह अपने काम को कराने के लिए दोनों बैलों को ले तो गया लेकिन वह दोनों बैलों की देखभाल करने में बेहद लापरवाह निकला। उसके अंदर दया और संवेदना नहीं थी। उसने दोनों बैलों से भरपूर काम तो लिया लेकिन उन्हें दाना-पानी देने के नाम पर सूखा भूसा दे देता था। यह उसकी असंवेदनशीलता थी। इसी कारण गया का यह व्यवहार हमें बिल्कुल भी अनुचित लगा।
हमारी दृष्टि में उसे ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। यदि वह बैलों के साथ अनुचित व्यवहार नहीं करता और दोनों बैल हीरा और मोती को अच्छी तरह से रखता तो शायद बैलों को उसके घर से भागने की जरूरत नहीं पड़ती। इस तरह दोनों बैलों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। उन्हें परेशान भी नहीं होना पड़ता और ना ही सारा वह घटनाक्रम घटता जो इस कहानी में घटा है।
हमें सभी पालतू और घरेलू पशुओं के साथ संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए। पशुओं के अंदर भी संवेदनाएं होती हैं। उन्हें भी कष्ट होता है। उन्हें भी दुख होता, यह बात हमें समझनी चाहिए। वह भले ही पशु हैं, लेकिन वह हमारी तरह ही प्राणी हुई हैं। उनके अंदर भी प्राण हैं।
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