नसीरुद्दीन ने अपने मित्र को मोहल्ले में घुमाना चाहा था।
एक बार नसीरुद्दीन अपने पुराने दोस्त जमाल साहब से मिले। अपने पुराने दोस्त जमाल साहब से मिलकर एक बड़े खुश हुए और उन्होंने बहुत देर तक अपने दोस्त के साथ गपशप की। उसके बाद वह अपने दोस्त से बोले, ‘चलो दोस्त, मोहल्ले में घूम आएं।’ यह सुनकर उनके दोस्त जमाल साहब ने जाने से मना कर दिया।
नसीरुद्दीन ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘मैं यह मामूली सी पोशाक पहना हूँ, इस पोशाक में मैं बाहर लोगों से नहीं मिल सकता।’
तब नसीरुद्दीन ने कहा, ‘बस इतनी सी बात।’ फिर तुरंत जाकर दोस्त के लिए भड़कीली अचकन निकाल कर ले आए और अपने दोस्त जमाल साहब को पहनने को दे दी।
संदर्भ पाठ
कक्षा – 4 पाठ – 5 ‘दोस्त की पोशाक’
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