अगर दरिया कंकड़ और रोड़े को और आगे ले जाता, तो क्या होता है? विस्तार से बताइए।

अगर दरिया कंकड़ और रोड़े को और आगे ले जाता तो धीरे-धीरे कंकड़ या रोड़ा छोटा होता जाता और छोटा होते-होते अंत में वह बालू के एक जर्रे यानी रेत के एक कण जितना छोटा हो जाता और समुद्र के किनारे अन्य बालू भाइयों यानि अन्य बालू के कणों से जा मिलता। इस तरह वह एक सुंदर बालू का किनारा बन जाता। इस बालू के किनारे पर छोटे-छोटे बच्चे खेलते और बालू के घरोंदे बनाते। इस तरह भले ही कंकड़ और रोड़े का मूल अस्तित्व भले ही समाप्त हो जाता लेकिन वे रेत के कण के रूप में अपनी सार्थक उपयोगिता के रूप में रहता।

संदर्भ पाठ

पाठ – संसार पुस्तक है, लेखक – जवाहरलाल नेहरु (कक्षा-6 पाठ-12)


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