सब्जी मंडी का कोई भी सब्जी वाले बाबू हनुमान प्रसाद को अपनी दुकान पर इसलिए नहीं बुलाना चाहते थे, क्योंकि बाबू हनुमान प्रसाद की बेहद खराब आदत थी। वह सब्जी खरीदते समय सब्जी वाले से हरे धनिये की गड्डी मुफ्त में मांगते थे। शलजम के पत्ते तुड़वाकर तोलने का आग्रह करते थे। आलू भी छांट-छांटकर चुनते। अरबी को धुलावकर, मिट्टी हटवाकर ही लेते थे। इसके अलावा वह सब्जी खरीदते समय मोलभाव बहुत अधिक करते थे। सब्जी वाले उनकी आदतों से बहुत परेशान हो जाते थे। इसी कारण सब्जीवाले हनुमान प्रसाद को अपने पास सब्जी के लिये नही बुलाना चाहते थे।
(संदर्भ पाठ : गोभी का फूल, लेखक – केशवचंद्र वर्मा, कक्षा-10, पाठ-5, हिंदी, दिशा)
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