हाइड्रोजन को क्यों लग रहा था कि मनुष्य अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहा है?

हाइड्रोजन को ऐसा इसलिए लग रहा था कि मनुष्य अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहा है, क्योंकि वह यानि मनुष्य सिगरेट और बीड़ी के विषैले धुएँ से ना केवल स्वयं का नुकसान कर रहा है, बल्कि धरती पर रहने वाले अन्य लोगों को भी बीमार कर रहा है।

हाइड्रोजन नाइट्रोजन को संबोधित करते हुए कहती है कि हे बहन! सिगरेट और बीड़ी इन विषैले धुएँ से यह मनुष्य हमारा तो नुकसान कर ही रहा है तथा स्वयं का नुकसान कर रहा है और धरती पर रहने वाले अन्य प्राणियों का भी नुकसान कर रहा है, उनको भी बीमार बना रहा है। वह इस विषैले धुएँ से सारे वातावरण को प्रदूषित कर रहा है, जिसके कारण हम प्रदूषित हो रहे हैं और हमारा यही प्रदूषित रूप अन्य मनुष्यों के शरीर में जाकर दमा, साँस, फेफड़े, त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न कर रहा है। इस तरह मनुष्य अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहा है यानी स्वयं का ही नुकसान कर रहा है।

संदर्भ पाठ :

‘मेरा दम घुटता है’ पाठ के माध्यम से लेखक ‘पंकज चतुर्वेदी’ ने वातावरण में बढ़ रहे प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने विचार व्यक्त किए हैं। पीएसईबी (PSEB), पंजाब स्टेट एजुकेशन बोर्ड, कक्षा – 7, पाठ – 17


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