व्याकरण की परिभाषा
व्याकरण से तात्पर्य किसी भाषा को नियमों समुच्चय में बांध कर उसे एक सुव्यवस्थित और मानक रूप देने की व्यवस्था से होता है। व्याकरण किसी भाषा को एक मानक रूप प्रदान करने की एक व्यवस्था है। व्याकरण के अंतर्गत नियमों का एक समुच्चय तैयार किया जाता है। जिसमें शब्दों के आधार पर नियमों का एक समुच्चय तैयार किया जाता है और व्याकरण के अलग-अलग अंग बनाए जाते हैं। व्याकरण में कर्ता, कर्म, क्रिया, लिंग, वचन आदि का महत्व होता है, जिनके आधार पर शब्द एवं वाक्यों की संरचना की जाती है।
‘किसी भाषा में नियमों का समुच्चय जो भाषा को व्यवस्थित रूप प्रदान करता हो, व्याकरण कहलाता है।’
व्याकरण का कार्य
व्याकरण का मुख्य कार्य भाषा को सुव्यवस्थित और मानक रूप प्रदान करना होता है। व्याकरण के द्वारा भाषा को एक मान्य रूप प्रदान किया जाता है, जिससे भाषा एक मानक भाषा बन पाती है। भाषा के विकास के चरण में जब कोई बोली भाषा का रूप धारण कर रही होती है तो भाषा लिखित रूप में कागजों पर उतारी जाती है तो सबसे पहले व्याकरण की ही आवश्यकता पड़ती है। बिना व्याकरण के किसी भी भाषा को लिखित रूप में नहीं लिखा जा सकता। भाषा को लिखित रूप में सुव्यवस्थित रूप से लिखने के लिए व्याकरण के नियमों की आवश्यकता पड़ती है। जब कोई भी बोली व्याकरण के नियमों से बंध जाती है तो वह एक मानक भाषा बन जाती है और लिखित रूप आसानी से उपयोग में लाई जा सकती है। सरल अर्थों में कहें तो व्याकरण का मुख्य कार्य भाषा को एक ढांचागत संरचना प्रदान करना और भाषा को एक आधार देना है।
Other questions
भाषा किसे कहते हैं? भाषा के कितने रूप है? लिखित भाषा किसे कहते हैं? मौखिक भाषा किसे कहते हैं?