हिंदी का अब तक का सबसे लंबा उपन्यास का नाम ‘कृष्ण की आत्मकथा’ है।
‘कृष्ण की आत्मकथा’ इस उपन्यास की रचना हिंदी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक ‘मनु शर्मा’ ने की थी। ये उपन्यास सबसे पहले सन 2004 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास आठ खंडों में प्रकाशित हुआ था। ‘कृष्ण की आत्मकथा’ इस उपन्यास के इन आठ खंडों के नाम हैं :
1. नारद की भविष्यवाणी
2. दुराभिसंध
3. द्वारका की स्थापना
4. लाक्षागृह
5. खांडव दाह
6. राजसूय यज्ञ
7. संघर्ष
8. प्रलय
इस तरह 8 खंडों में प्रकाशित उपन्यास की रचना मनु शर्मा ने की थी।
मनु शर्मा
मनु शर्मा हिंदी में मनु शर्मा के अलावा अपने आरंभिक दौर में हनुमान प्रसाद शर्मा के नाम से भी लेखन कार्य करते थे। उन्होंने ‘कृष्ण की आत्मकथा’ इस उपन्यास के अलावा और लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास लिखे थे। उनके द्वारा लिखे गए कई उपन्यासों में द्रोण की आत्मकथा, ‘कर्ण की आत्मकथा’, ‘दौपदी की आत्मकथा’, ‘गांधारी की आत्मकथा’, ‘अभिशप्त कथा’, ‘गाँधी लौटे’, ‘छत्रपति’ ‘तीन प्रश्न’ ‘मरीचिका’, ‘के बोले माँ तुमि अबले’, ‘विवशिता’ एवं ‘लक्ष्मणरेखा’ आदि के नाम प्रमुख हैं। उन्होंने दो सौ के लगभग कहानियाँ भी लिखीं। उनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह का नाम है, ‘पोस्टर उखड़ गया’। मनु शर्मा उर्फ हनुमान प्रसाद शर्मा ने हिंदी साहित्य की हर विधा में लेखन कार्य किया है। उन्होंने कहानियों और उपन्यासों के अलावा अनेक निबंध भी लिखे। मनु शर्मा जन्म सन् 1928 में उत्तर प्रदेश के फैजाबाद (अब अयोध्या), के अकबर पुर (अब अंबेडकर नगर) में हुआ था। उनका निधन 2017 में हुआ। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार का हिंदी साहित्य सम्मान ‘यश भारती’ भी मिल चुका है। उसके अलावा उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी समिति द्वारा ‘साहित्य भूषण’ का सम्मान भी प्राप्त हुआ।
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