धृतराष्ट्र ने विदुर को कुंती, पांचो पांडव तथा द्रौपदी को बुला लाने के लिए पांचाल देश भेजा था।
जब कौरव और पांडवों का विवाद चल रहा था। तब भीष्म पितामह ने धृतराष्ट्र को सुझाव दिया कि पांडवों के साथ समझौता करके उन्हें आधा राज्य दे दिया जाएय़ यद्यपि दुर्योधन और कर्ण इस सुझाव से सहमत नहीं थे। कर्ण ने धृतराष्ट्र को इस संबंध में भड़काने का भी प्रयत्न किया। उसके बाद गुरु द्रोणाचार्य ने भी यही सुझाव दिया।
अंत में धृतराष्ट्र ने विदुर से विचार-विमर्श किया। तब विदुर ने कहा कि भीष्म पितामह और द्रोणाचार्य गुरु द्रोणाचार्य ने जो सलाह दी है, वह उचित है। सारी बातें का अंत में यह निष्कर्ष तय हुआ कि धृतराष्ट्र ने विदुर को पांचो पांडव और कुंती को बुलाने के लिए पांचाल देश भेजने का निर्णय लिया और उन्हें पांडवों को वापस बुलाने के लिए पांचाल देश भेजा। विदुर धृतराष्ट्र की ओर से पांचाल देश के नरेश राजा द्रुपद के लिए अनेकों उपहार लेकर पांचाल देश की ओर प्रस्थान कर गए।
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