शिवाजी अपने साथ आए घुड़सवारों को आगरा से बाहर इसलिए भेजना चाहते थे, क्योंकि उन्होंने इसके पीछे एक योजना तैयार की थी। उस योजना के अंतर्गत वे अपने साथ के सारे घुड़सवारों को आगरा से बाहर भेजना चाहते थे, ताकि उनके सारे घुड़सवार आगरा से बाहर जाकर उनकी योजना पर काम कर सकें और औरंगजेब की कैद से उनकी रिहाई का बंदोबस्त कर सकें।
जब मुगल बादशाह औरंगजेब ने जब शिवाजी को आगरा के किले में नजरबंद कर लिया, तब शिवाजी ने औरंगजेब की कैद से निकलने के लिए एक योजना तैयार की। उन्होंने ऐसा दर्शाया कि जैसे वह औरंगजेब आगे अपनी हार मान चुके हैं। उन्होंने औरंगजेब से कहा कि वह अपने साथ आए और घुड़सवारों को बाहर भेजना चाहते हैं ताकि वह अपनी पत्नी और माँ को भी आगरा बुला सकें। औरंगजेब को लगा कि शिवाजी उसके चंगुल में फंस चुके हैं। यह अपनी माँ और पत्नी को यहाँ बुला लेंगे तो उनकी भागने की संभावना कम हो जाएगी। भला अपनी माँ या पत्नी को छोड़कर कौन भागेगा। इसलिए औरंगजेब ने शिवाजी को अपने घुड़सवार बाहर भेजने की अनुमति दे दी।
शिवाजी के ये घुड़सवार ही बाद में रोज फलों और मिठाइंयों की टोकरियां शिवाजी महाराज के पास भिजवाते थे। एक दिन इन्ही टोकरियों में छुपकर ही शिवाजी महाराज औरंगजेब की कैद से निकलने में कामयाब रहे।