दीवान के पद के लिए आवश्यक योग्यताएँ क्या थीं?​ (पाठ- परीक्षा)

दीवान पद के लिए आवश्यक योग्यताएं यह थी कि उम्मीदवार हृष्ट-पुष्ट हो। शरीर से सेहतमंद हो। मंदाग्नि का मरीज ना हो। उसका रहन-सहन और आचार विचार अच्छा हो। भले ही बहुत अधिक पढ़ा लिखा ना हो, ग्रेजुएट ना हो, लेकिन अपने कर्तव्य का के प्रति निष्ठावान हो। वह सदाचारी और विनम्र हो।

‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखित ‘परीक्षा’ नामक कहानी एक रियासत के दीवान पद के लिए उचित उम्मीदवार की खोज पर आधारित कहानी है। रियासत देवगढ़ के दीवान सरदार सरदार सुजान सिंह बूढ़े हुए तो उन्होंने राजा साहब से स्वयं के सेवानिवृत्त होने की आज्ञा मांगी। राजा साहब ने उनके सेवानिवृत्त होने की आज्ञा तो दे दी लेकिन यह भी कहा कि वह दीवान के पद के लिए नया दीवान खुद ही ढूंढेंगे। इस तरह सरदार सुजान सिंह के ऊपर रियासत के लिए नया दीवान ढूंढने की जिम्मेदारी आ गई।

इसीलिए उन्होंने प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकाला कि एक सुयोग्य दीवान की जरूरत है। दीवान के लिए आवश्यक योग्यताओं में उसका शरीर से हृष्ट-पुष्ट होना आवश्यक है। वह मंदाग्नि आदि का मरीज बिल्कुल न हो। भले ही वह अधिक पढ़ा-लिखा न हो लेकिन उसकी अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा हो। वो समझदार और ईमानदार व्यक्ति हो।


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