फूलों और काँटों में अनेक समानताएं होती हैं। फूल और काँटे एक ही जगह पर जन्म लेते हैं। फूल और काँटे एक ही पौधे पर पलते बढ़ते हैं। रात के समय जब आकाश में चाँद अपनी शीतल चाँदनी चारों तरफ बिखेरता है तो वह समान रूप से फूल और काँटे दोनों को अपनी चाँदनी से नहलाता है। जब बादल पृथ्वी पर बारिश करते हैं तो वह समान रूप से फूल और काँटे दोनों पर बारिश करते हैं। जब हवा मंद-मंद बैठती है तो वह फूल और काँटे दोनों पर समान रूप से बहती है। इस तरह फूल और कांटे दोनों में उपरोक्त समानताएं होती हैं। हालांकि एक जैसी समान परिस्थितियों में पल-बढ़कर भी फूल और काँटे दोनों के स्वभाव में बड़ा अंतर होता है।
‘फूल और कांटे‘ पाठ ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध‘ द्वारा लिखा गई एक कविता है,,जिसमें उन्होंने फूल और काँटे दोनों के स्वभाव के विषय में बताया है। कवि ने इस कविता के माध्यम से फूल और काँटों का उदाहरण देकर यह कहा है कि फूल और काँटे एक ही जगह पर जन्म लेने और एक ही समान परिस्थितियों में पलने-बढ़ने के बावजूद एक दूसरे से विपरीत स्वभाव रखते हैं। उसी तरह जीवन में अनेक व्यक्ति ऐसे होते हैं जो समान परिस्थितियों में जन्म लेकर भी एक दूसरे से विपरीत स्वभाव रख सकते हैं। किसी व्यक्ति की कुलीनता ही उसे समाज में सम्मान नहीं दिलाती बल्कि व्यक्ति का व्यवहार ही उसे समाज में सम्मान दिला सकता है।
संदर्भ पाठ:
‘फूल और काँटे’, लेखक – अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध (कक्षा-7, पाठ-2 हिंदी सुलभ भारती (महाराष्ट्र बोर्ड)
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