‘काकी’ कहानी के आधार पर माँ तथा बच्चों के बीच मधुर संबंध की बात करें तो माँ एवं बच्चे के बीच बेहद ही आत्मीय संबंध होता है। कोई भी बच्चा अपनी माँ के बिना आसानी से रह नहीं पाता। बचपन में जिस बच्चे की माँ का देहांत हो जाए तो बिना माँ के उस बच्चे का जीवन-उथल-पुथल भरा हो जाता है, यह काफी कहानी के माध्यम से स्पष्ट हो जाता है।
जिस तरह का की कहानी में बच्चा श्यामू अपनी माँ, जिसे वह काकी कहता था, के देहांत के बाद उसकी याद में बेचैन रहता है और अपनी माँ को वापस बुलाना चाहता है। उससे उसका अपने माँ के प्रति प्रेम का पता चलता है। नादान बच्चा हो जाने के कारण उसे यह आभास नही हो पाता है कि उसकी माँ का देहांत हो चुका है और एक बार जो व्यक्ति इस दुनिया से चला जाए वह वापस नहीं आता। वह अपनी नादान एवं भोली बुद्धि से केवल इतना समझता है कि उसकी माँ भगवान के पास चली गई है और वह अपनी माँ को भगवान के पास से वापस बुला सकता है।
माँ और बच्चों के बीच आत्मीय संबंधों की व्याख्या आसानी से नहीं की जा सकती। एक माँ अपने बच्चे से जितना स्नेह करती है और एक छोटा बच्चा अपनी माँ के प्रति जितना लगाव रखता है, वह शब्दों में आसानी से बताया नहीं जा सकता। माँ और बच्चे के बीच आत्मीय संबंध अद्भुत होते हैं। काकी कहानी में यही बात स्पष्ट की गई है।
संदर्भ पाठ
‘काकी’ लेखक – सियारामशरण गुप्त
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