विचार/अभिमत
एक विदेशी पर्यटक ताजमहल देखने भारत आया है और हिंदी भाषा नहीं आती है। ऐसी स्थिति में उसे संवाद स्थापित करने में परेशानी हो रही होगी। भारत के एक जागरूक नागरिक और एक अच्छे मेजमान होने के नाते उसकी मदद करना हमारा कर्तव्य बनता है। कोई भी विदेशी पर्यटक जो भारत घूमने आया है, उसकी हर दृष्टि से मदद करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। इससे वह पर्यटक हमारे देश भारत के विषय में एक अच्छी छवि लेकर वापस अपने देश जाएगा।
अगर उस पर्यटक को हिंदी भाषा नहीं आती है तो सबसे पहले हम यह जानने का प्रयत्न करेंगे कि वह पर्यटक किस देश से आया है? उसके देश की भाषा कौन सी है? यदि वह पर्यटक अंग्रेजी भाषी देश से आया है तो हम अंग्रेजी भाषा में उससे संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे। हमारे देश में अंग्रेजी भाषा के जानकार अनेक व्यक्ति मिल जाते हैं। इसलिए उसके अंग्रेजी भाषा से संवाद करने की कोशिश की जा सकती है, और उसकी समस्या को समझा जा सकता है।
अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त अन्य विदेशी भाषा के जानकार हमारे देश में मिलना थोड़ा कठिन है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति किसी ऐसे देश से आया हो जहां अंग्रेजी भाषा उस देश की भाषा ना हो और वह व्यक्ति अंग्रेजी भाषा भी नहीं जानता हो। तो हम मोबाइल के माध्यम से गूगल ट्रांसलेटर या दूसरे किसी ट्रांसलेटर टूल के द्वारा उससे संवाद स्थापित करेंगे।
तकनीक के इस युग में आज अलग-अलग भाषाओं के व्यक्तियों से संवाद स्थापित करना कठिन कार्य नहीं रह गया है। यदि उस पर्यटक को हिंदी भाषा नहीं आती है तो मोबाइल के माध्यम से गूगल ट्रांसलेटर या अन्य किसी ट्रांसलेटिंग टूल के माध्यम से संवाद स्थापित कर सकता है। हम भी ऐसे ही किसी ट्रांसलेटिंग टूल के द्वारा स्थापित करेंगे और उसकी समस्या को जानने का प्रयत्न करेंगे। जितना संभव होगा उसकी मदद करेंगे। हम उसकी मदद करने में कोई भी कमी नहीं रखेंगे। हमारे देश में घूमने आया है वह पर्यटक हमारा अतिथि है।
हमारे देश की संस्कृति ‘अतिथि देवो भवः’ की रही है। वह जब भी हमारे देश से वापस अपने देश में जाए तो वह अपने देश के लोगों से यह कहे कि भारत के लोग इतने मददगार और विनम्र हैं कि उन्होंने मुझे अपने देश में जरा भी तकलीफ नहीं होने दी। हम ऐसा व्यवहार उसके साथ करेंगे कि वो अपने देश एक अच्छी स्मृति लेकर जाए यही हमारे देश के लिए हमारी तरफ से सबसे अच्छा योगदान होगा।
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