किताब-उल-हिंद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

किताब-उल-हिंद पर टिप्पणी

‘किताब-उल-हिंद’ अलबिरूनी द्वारा अरबी भाषा में लिखी गई एक कृति है, जो भारत के विषय में बताती है। किताब-उल-हिंद अल बिरूनी ने अरबी भाषा में तब लिखी थी, जब वह भारत की यात्रा करके गया था। किताब-उल-हिंद में अल बिरूनी ने भारतीय उपमहाद्वीप के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन संस्कृति, उनके रीति-रिवाजों, उनकी प्रथाओं, सामाजिक जीवन, धर्म और दर्शन, त्यौहारों, खगोल विज्ञान, भार और मापन की विधियां, मापन यंत्र विज्ञान, कानून, मूर्तिकला जैसे विषयों का विवेचन प्रस्तुत किया है।

किताब-उल-हिंद अनुवाद अरबी भाषा से विश्व की कई अन्य भाषाओं में भी हुआ है। यह एक विस्तृत ग्रंथ है जो लगभग अपने विषयों के आधार पर लगभग 80 अध्यायों में विभाजित है। लेखक ने इस ग्रंथ की भाषा को बेहद सरल स्पष्ट बनाया है। इस ग्रंथ के अध्याय में एक विशेष शैली का प्रयोग किया गया है तथा हर अध्याय एक प्रश्न से आरंभ होता है। हर अध्याय में संस्कृति वादी परंपराओं का वर्णन है और अध्याय के अंत में उसकी अन्य संस्कृतियों से तुलना भी की गई है। बहुत से विद्वान यह मानते हैं कि अल-बिरूनी का झुकाव गणित की हो होने के कारण ये पुस्तक एक प्रकार से ज्यामितीय संरचना पर आधारित पुस्तक है।

अल बिरूनी
‘अल बिरूनी’ के बारे में बात करें तो अलबरूनी के जन्म के विषय में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन उसके बारे में कहा जाता है कि वह ईरानी मूल का एक मुस्लिम भाषाविद और विद्वान था, जिसने अनेक पुस्तकें लिखी। उसकी मातृभाषा खवारिज्म थी, जो ईरान के उत्तरी क्षेत्र में बोली जाती थी। अल बिरूनी इब्रानी, सीरियाई और संस्कृत भाषा का भी विद्वान था। वह ख्वारिज्म के स्थानीय राजवंश में उसके शासक के संरक्षण में अधिकतर रहा। उसका जन्म 973 हिजरी संवत् को माना जाता है। वह भारत और भारत के दर्शन से बेहद प्रभावित था और संस्कृत भाषा का विद्वान भी था, इसी कारण उसने भारत के अनेक ग्रंथों का अध्ययन किया और फिर भारतीय ज्ञान एवं दर्शन पर किताब-उल-हिंद पुस्तक की रचना की।


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