पद्मावत महाकाव्य की विशेषताएं
मलिक मोहम्मद जायसी सूफी धारा के सिद्धहस्त कवि माने जाते हैं। पद्मावत उनका सबसे अधिक प्रसिद्ध और विशिष्ट रचना है। यह एक महाकाव्य है, जिसमें मलिक मोहम्मद जायसी ने रानी पद्मावती को आधार बनाकर इस महकाव्य की रचना की है। ठेठ अवधी भाषा में रचित इस महाकाव्य की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं…
- पद्मावत महाकाव्य की भाषा ठेठ अवधी है, लेकिन उसके साथ-साथ इसमें खड़ी बोली और ब्रजभाषा का भी मिश्रण दिखाई पड़ता है।
- पद्मावत महाकाव्य में लोकोक्तियां का भी सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है।
- भाषा शैली की बात करें तो पद्मावत महाकाव्य की भाषा माधुर्य गुण से परिपूर्ण है। यह महाकाव्य अवधी भाषा की मिठास से भरा हुआ महाकाव्य है।
- जायसी ने इस महाकाव्य में कहीं-कहीं पर सूक्तियां का प्रयोग भी किया है, जिससे उनकी काव्य चातुर्य का कला प्रकट होती है।
- पद्मावत महाकाव्य में सादृश्य मूल अलंकारों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। जिनमें उपमा, उत्प्रेक्षा और रूपक अलंकार प्रमुख हैं।
- महाकाव्य में उठने वाले भागों के अनुसार ही अलंकारों की योजना की गई है। इस महाकाव्य में अलंकार योजना परंपरागत रूप से की गई है।
- पद्मावत महाकाव्य भाषा शैली की बात की जाए तो मलिक मोहम्मद जायसी ने लोक प्रचलित प्रेम कथा को आधार बनाकर इस महकाव्या की रचना की है, जिसमें उन्होंने रानी पद्मावती के जीवन को आधार बनाया है।
- इस महाकाव्य में अलंकारिक शैली, प्रतीकात्मक शैली, शब्द चित्रात्मक शैली तथा अतिशयोक्ति प्रधान शैली का प्रयोग किया गया है।
- मलिक मोहम्मद जायसी ने इस महाकाव्य में दोहा, चौपाई और छंदों का प्रयोग किया गया किया है।
- इस तरह ‘पद्मावत’ महाकाव्य अनेक तरह की विशेषता से युक्त महाकाव्य है।