‘एक दिन’ एकांकी में भारतीय आदर्श की प्रतिष्ठा की गई है। स्पष्ट कीजिए​।

‘एक दिन’ एकांकी की समीक्षा

‘एक दिन’ एकांकी लक्ष्मी नारायण मिश्र द्वारा रचित एकांकी है। इस एकांकी के माध्यम से उन्होंने भारतीय आदर्श की प्रतिष्ठा स्थापित की है। एकांकी की कथावस्तु पूरी तरह भारतीय आदर्शों पर ही आधारित है। एकांकी की कथावस्तु सामाजिक ताना-बाना लिए हुए हैं। एकांकीकार ने इस विशेष सामाजिक संदर्भ में प्रस्तुत किया है। इस एकांकी के माध्यम से एकांकीकार मिश्र जी ने सामाजिक परंपराओं को प्रतिष्ठित करते हुए पाश्चात्य मान्यताओं को विखंडित करने का प्रयास किया है। इस तरह उन्होंने भारतीय आदर्श आदर्श को प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का सफल प्रयास किया है। एकांकीकार ने बहुत ही ठोस एवं सधे हुए कथानक के माध्यम से अपनी बात को कहने का प्रयत्न किया है।

एकांकी के पात्र और उनके चरित्र-चित्रण की बात की जाए तो एकांकी के सभी पात्र एकांकी के उद्देश्य को सफल बनाते हैं। इस एकांकी में चार पात्र हैं जिनके नाम निरंजन, शीला, राजनाथ और मोहन है। एकांकी की पृष्ठभूमि 20वीं सदी की है। तत्कालीन समाज में भारतीय समाज जिस तरह की मान्यताएं व्याप्त थी, लेखक ने उन्हें ही उकेरा है। इस एकांकी के माध्यम से एकांकीकार ने भारतीय नारी के कोमल स्वभाव को और भारतीय पुरुष के आत्मसंयमी, निडर और साहसी स्वभाव को प्रकट किया है। अभिनय की दृष्टि से ‘एक दिन’ एकांकी एक सफल एकांकी कहा जा सकता है और एकांकीकार अपनी बात को कहने में पूरी तरह सफल रहे हैं।


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