मौसी ने अपनी जमीन जुम्मन के नाम इसलिए कर दी थी क्योंकि जमीन अपने नाम लिखवाते समय जुम्मन ने मौसी से वादा किया था कि वह मौसी की जिंदगी पर देखभाल करेगा और उन्हें पूरी जिंदगी खाना देगा तथा उनकी हर जरूरत पूरी करेगा।
‘मुंशी प्रेमचंद’ द्वारा लिखित कहानी ‘पंच परमेश्वर’ में जुम्मन शेख की एक बूढ़ी खाला (मौसी) थी। मौसी के पास थोड़ी सी जमीन थी। मौसी की कोई संतान में नहीं थी और ना ही कोई और निकट का रिश्तेदार था। जुम्मन शेख ही मौसी का एकमात्र रिश्तेदार था। इसीलिए जुम्मन शेख ने मौसी से उनकी जमीन अपने नाम करने का प्रस्ताव दिया। जुम्मन शेख ने मौसी से लंबे-चौड़े वायदे करके मौसी की जमीन अपने नाम करवा ली। जुम्मन ने मौसी और कहा कि वह मौसी की पूरी जिंदगी देखभाल करेगा। जब तक मौसी ने जुम्मन के नाम जमीन नहीं की, तब तक जुम्मन ने मौसी की खूब खातेदारी की और उन्हें तरह-तरह के पकवान खिलाता था। लेकिन जैसे ही जमीन की रजिस्ट्री हो गई, जुम्मन के तेवर बदल गए। जुम्मन और उसकी पत्नी करीमन दोनों मौसी को खाना-पानी देने में आनाकानी करने लगे। वे अब पूरी-पकवान की जगह रूखा-सूखा भोजन देते तथा भोजन देते समय भी ताने देते थे। जुम्मन के इस बदले व्यवहार और अपने साथ हुए धोखे के खिलाफ मौसी ने न्याय पाने के लिए गाँव में पंचायत की शरण ली।