सही विकल्प होगा…(ख) साइकिल |
विस्तार से वर्णन
पुडुकोट्टई जिले में साइकिल की धूम मची हुई है। यहाँ पर महिलाओं द्वारा साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन बन गया है। पहले साइकिल चलाना यहां पर एक सामाजिक आंदोलन नहीं था। लेकिन पुडुकोट्टई जिले की हजारों नव-साक्षर ग्रामीण महिलाओं ने साइकिल को एक सामाजिक आंदोलन बना दिया। साइकिल के माध्यम से उन्होंने अपने पिछड़ेपन पर लात मारी और स्वयं को पुरानी जंजीरों से आजाद करते हुए साइकिल का पहिया थाम लिया। साइकिल को उन्होंने अपने सशक्तिकरण का प्रतीक बना लिया।
‘जहाँ पहिया है’ पाठ लेखक ‘पालगम्मी साईनाथ’ द्वारा लिखा गया एक ऐसा पाठ है, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु के बेहद पिछड़े जिले ‘पुडुकोट्टई’ का वर्णन किया है। पुडुकोट्टई जिला तमिलनाडु के पिछड़े जिले में शामिल है। यहाँ पर अधिकतक आबादी मुस्लिम है। इस जिले की अधिकतर ग्रामीण मुस्लिम महिलाएं रूढ़िवादी परिवार से संबंध करती थी।
इन मुस्लिम लड़कियों को घर से बाहर निकालने की बिल्कुल भी आजादी नहीं थी। उन्हें हमेशा पर्दे में रहना पड़ता था। लेकिन धीरे-धीरे उनमें जागरूकता आती गई। उन्होंने साइकिल के माध्यम से उन्होंने घर से बाहर निकलना सीख लिया।
जमीला बीवी नामक एक मुस्लिम युवती जिसने साइकिल चलाना सीखा अब अपने सारे काम साइकिल से जाकर कर लेती है। अब वो कहीं पर भी साइकिल से आसानी से आ जा सकती है। उसने साइकिल चलाने को अपने अधिकार के प्रतीक के तौर पर लिया। इसी तरह इस जिले की अनेक ग्रामीण महिलाओं ने साइकिल को अपनी आजादी का हथियार बनाया और अब इस जिले में साइकिल चलाना एक सामाजिक आंदोलन बन गया है और यहां पर साइकिल चलाने की धूम मची हुई है।
इस जिले की 70000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं साइकिल चलाना सीख चुकी हैं और अपनी दैनिक जीवन के रोजमर्रा के कार्य करने के लिए अब वह साइकिल का पूरा उपयोग करती हैं।