“काव्य वो है जो हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करे” ये परिभाषा किसने दी है​

“काव्य वो है जो हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करे” ये परिभाषा ‘डॉ. श्याम सुंदर दास’ ने दी है।

 डॉक्टर श्याम सुंदर दास हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक, शिक्षाविद और विद्वान थे, जिन्होंने काव्यशास्त्र और भाषा विज्ञान का गहन विवेचन करके अनेक सिद्धांत और कथन प्रतिपादित किए हैं।  उन्होंने हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

डॉक्टर श्यामसुंदर दास ने काव्यशास्त्र की व्याख्या करते हुए कहा था कि काव्य वह है, जो हिंदी में ‘काव्य वो है जो हृदय में अलौकिक आनंद या चमत्कार की सृष्टि करे’। उनकी हिंदी भाषा विज्ञान पर अच्छी पकड़ थी।

हिंदी के अनेक विद्वानों जैसे सभी मैथिली शरण गुप्त, महावीर प्रसाद द्विवेदी, डॉक्टर राधाकृष्णन आदि ने डॉक्टर श्यामसुंदर दास की विद्वता की परिभाषा देते हुए उनके भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

डॉक्टर श्याम सुंदर दास का जन्म 14 जुलाई 1875 को वाराणसी में हुआ था। उनका निधन 1945 ई में हुआ।


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