‘सुआटा’ किस प्रकार का लोकगीत है- (क) ऋतुगीत (ख) श्रम गीत (ग) धार्मिक गीत (घ) संस्कार गीत

सही उत्तर है…

(ग) धार्मिक गीत

विस्तृत विवरण

‘सुआटा’ लोकगीत एक धार्मिक लोकगीत है। ‘सुआटा’ लोकगीत बुंदेलखंड की लोक संस्कृति का एक बेहद प्रमुख धार्मिक लोकगीत है।  इस लोकगीत को ‘नौरता’ भी कहा जाता है, क्योंकि ये नवरात्रि में आयोजित किया जाता है।

सुआटा लोकगीत बुंदेलखंड में कुंवारी कन्याओं द्वारा खेला जाने वाला एक अनुष्ठानात्मक खेल है। यह नवरात्रि के दिनों में 9 दिनों तक चलता है। यह नवरात्रि में अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तक 9 दिनों तक आयोजित किया जाता है।

इस धार्मिक लोकगीत और खेल रूपी आयोजन का सबसे प्रमुख पात्र ‘सुआटा’ नाम की स्त्री ही होती है, इसी कारण लोकगीत को ‘सुआटा’ कहा जाता है। इस ‘नौरता’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह नवरात्रि में ही खेला जाता है।

बुंदेलखंड में आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को स्कंद माता की पूजा आयोजित की जाती थी। नवरात्रि में ही कुंवारी कन्याओं द्वारा गौरी माता की पूजा की जाती थी। बाद में बुंदेलखंड में इन दोनों पूजा उत्सव को मिलाकर एक कर दिया गया और पूरा आयोजन सुआटा या नौरता के नाम से जाना जाने लगा।

सुआटा लोकगीत जो कि आख्यानात्मक खेल है, इसमें प्राचीन धार्मिक लोककथा को आधार मानकर तथा लोकगीत के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कथा की पृष्ठभूमि दानव या राक्षस से संबंधित होती है। प्राचीन काल में वह कुआंरी कन्याओं को बहुत सताता था और उनका अपहरण कर लेता था या उन्हे पकड़कर खा जाता था। इसी कारण अपनी कन्याओं ने राक्षस से अपनी रक्षा के लिए देवी माँ गौरी की आराधना की। माँ गौरी ने प्रसन्न होकर उस राक्षस का वध किया। तभी से बुंदेलखंड में इस धार्मिक लोकगीत का प्रचलन चल पड़ा।


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