‘माँ का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा होता है।’ इस कथन के आधार अपनी माँ के गुणों को बताएं।

‘माँ का स्थान ईश्वर से भी ऊँचा होता है।’ यह बात बिल्कुल ही सत्य है और किसी व्यक्ति के जीवन में माँ का बेहद अधिक महत्व है। माँ ही किसी बच्चे की प्रथम गुरु, प्रथम शिक्षक, प्रथम मार्गदर्शक होती है।

  • माँ के गुणों की व्याख्या को शब्दों के माध्यम से आसानी से समेटा नहीं जा सकता, फिर भी माँ के कुछ गुण इस प्रकार हैं…
  • मेरी माँ कभी हमें भूखा नहीं सोने दे सकती। वह खुद अच्छा खाना भले ही नही खाए लेकिन हमें अच्छे से अच्छा भोजन उपलब्ध कराने का प्रयत्न करती है।
  • माँ को हमारे पसंद के खाने का ख्याल रहता है।
    माँ अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति हमेशा सचेत रहती है और वह अपने बच्चों को ऐसा भोजन देना चाहती है जो उसके स्वास्थ्य को अच्छा रखें।
  • मेरी एक कुशल गृहणी की भूमिका बेहद कुशलता से निभाती है। हमारे पिता की आमदनी अगर सीमित होने के बावजूद भी माँ बेहद कुशलता से घरों को चला लेती हैं और किसी भी बात की कमी को महसूस नहीं होने देती।
  • मेरी माँ हमारी हर जरूरत को प्राथमिकता देती हैं और हमे किसी बात की कमी महसूस नही होने देतीं।
  • माँ अपनी किसी भी तकलीफ और जरूरत को सामने प्रकट नहीं करती, वह अपनी इच्छाओं को परे रखकर वह अपने बच्चों की हर इच्छा को पूरा करने के लिए तत्पर रहती है।
  • माँ दिन भर हम सब देखभाल में लगी रहती है और हम सभी भाई-बहन और पिताजी तथा दादा-दादी को किसी भी तरह की तकलीफ नही होने देती।
  • मेरी माँ हमारे लिए गुरु की तरह हैं, वह हमे हर अच्छी बात सिखाती हैं। वह हमारी पथ प्रदर्शक हैं। वह हमारा पूरा ध्यान रखती है कि हम किसी भी गलत रास्ते पर नहीं चलें। वास्तव में मेरी माँ त्याग और ममता की मूर्ति हैं।

Other questions

नाम कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करते हैं?

‘दया की दृष्टि सदा ही रखना’ – इसका क्या अर्थ है ?​

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions