‘बेवक्त जागने’ का परिणाम क्या होता है? (कविता – इसे जगाओ)

‘बेवक्त’ जागने का परिणाम यह होता है कि व्यक्ति जीवन की दौड़ में औरों से पीछे रह जाता है। जब वह समय पर नहीं जागाता तब उसे अपने पिछड़े होने का बोध होता है। वह समय पर जागकर अपने कार्यों को समय पर पूरा नहीं कर पाता।

जब वह बेवक्त जागता है तो वह जीवन के कार्यों में औरों से पिछड़ जाता है। उसके सारे कार्य देरी से शुरू होते हैं। ऐसे में दूसरे लोग उससे आगे निकल जाते हैं। वह उनकी बराबरी करने के लिए हड़बड़ाहट में कार्य करने लगता है, इससे उसके कार्य और अधिक बिगड़ते जाते हैं।

इसीलिए ‘बेवक्त’ जागने का परिणाम यह होता है कि व्यक्ति न केवल जीवन की दौड़ में दूसरों से पिछड़ जाता है बल्कि उसके सारे कार्य भी बिगड़ जाते हैं और वह अपने किसी भी कार्य को सही समय पर नहीं कर पाता। इसलिए समय पर जगकर अपने सारे कार्य समय पर कर लेने चाहिए। तभी जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

‘इसे जगाओ’ कविता में कवि ‘भवानी प्रसाद मिश्र’ कहते हैं कि सही समय पर अगर आदमी सचेत न हो तो वह घबराने लगता है। घबराकर भागना और तेज गति से भागने में अंतर होता है। तेज गति से चलने का अर्थ है, सही अवसर पर सचेत होकर अपने कार्य को समय पर करना यानी सही समय पर मिले अवसर को नहीं छोड़ना और उसे लपक लेना।

इसके विपरीत घबराकर कर भागने का मतलब होता है कि बेवक्त जगकर समय से पीछे क घबराकर वही भागते हैं जो समय से पीछे चल रहे होते हैं, वह समय के साथ चलने के बाद में प्रयास में हड़बड़ा कर भागते हैं, इससे उनके सारे कार्य में बिगड़ते जाते हैं। इसीलिए हमेशा समय पर सारे कार्य कर लेने चाहिए।


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