घोड़ा-गाड़ी का तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज रूप
शब्द : घोड़ा-गाड़ी
तत्सम शब्द : अश्वरथ
तद्भव शब्द : घोड़ा-गाड़ी
देशज शब्द : तांगा
विदेशज शब्द : तांगा
तत्सम, तद्भव देशज और विदेशी शब्द क्या होते हैं?
तत्सम शब्दों से तात्पर्य उन शब्दों से होता है, जो संस्कृत भाषा से ज्यों के त्यों अन्य भाषाओं विशेषकर हिंदी में ग्रहण कर लिए गये हैं। हिंदी में जो शब्द संस्कृत भाषा से उसी रूप में सीधे ग्रहण कर लिए गए हैं, जिस रूप में संस्कृत भाषा में प्रयोग किए जाते हैं, तो उन्हें ‘तत्सम शब्द’ कहते हैं। ‘तत्सम’ का शाब्दिक अर्थ ही है, ‘ज्यों का त्यों’।
तद्भव शब्द वे शब्द होते हैं, जो संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में लिए तो गए हैं, लेकिन हिंदी भाषा में उनका रूप परिवर्तित हो चुका है और वह ज्यों के त्यों प्रयोग नहीं किए जाते जाते हैं।
देशज शब्द वे शब्द होते हैं जो भारत की प्रादेशिक भाषाओं में अलग-अलग रूप में बोले जाते हैं, और उन भाषाओं से हिंदी में लिए गए हैं।
विदेशज शब्द वे शब्द होते हैं, जो हिंदी भाषा में विदेशी भाषा जैसे अंग्रेजी, अरबी, फारसी तथा अन्य विदेशी भाषाओं से ग्रहण किए गए हैं।