सौदलगेकर मास्टर मराठी विषय को पढ़ाते थे। वह मराठी विषय पूरी तन्मयता से पढ़ाते थे और मराठी पढ़ाते-पढ़ाते विषय में ही पूरी तरह रम जाते थे। जिससे उनका पढ़ाने का तरीका बेहद अलग और रोचक लगता था।
विस्तार से जानें
‘जूझ’ पाठ जो लेखक आनंद रतन यादव द्वारा लिखा गया है, उसमें लेखक ने अपने बचपन के संस्मरण का वर्णन किया है। जब लेखक छोटा था तो लेखक को के पिता ने उसे पाठशाला जाने से मना कर दिया और खेती के कार्य में लगा दिया था। लेकिन लेखक का मन पढ़ाई के प्रति था इसलिए किसी तरह अपने विद्यालय जाने का लिए अपने पिता को मना लिया था।
लेखक बताता है कि उनके सौदलगेकर मास्टर मराठी विषय को पढ़ाते थे। उनका मराठी विषय पढ़ाने का तरीका बेहद ही रोचक होता था। उन्हें मराठी और अंग्रेजी की बहुत सी कविताएं याद थीं। इसके अलावा वह स्वयं भी कवितायों की रचना किया करते थे।
आनंद रतन यादव
आनंद रतन यादव का जन्म 1935 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में हुआ था। उन्होंने मराठी और संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी। वे पुणे विश्वविद्यालय में मराठी विभाग में लंबे समय तक कार्यरत रहे है।
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