‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

जब सिनेमा ने बोलना सीखा पाठ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं। नई नई तकनीक और नई नई विधाएं आती रहती हैं और हमें उन्हें सहर्ष स्वीकार करके उन्हें अपना हाथ आजमाना चाहिए।

हमें अपना प्रयास करना चाहिए। किसी भी नए परिवर्तन के अनुसार स्वयं को ढाल कर उसमें कोशिश करने से सफलता अवश्य मिलती है और एक नई परंपरा की नींव भी पड़ती है। ‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ पाठ में निर्देशक के यही बताया गया है। उस समय भारत में मूक फिल्मों का ही दौर था और सवाक फिल्में नहीं बनती थीं।

पहली सवाक फिल्म के निर्देशक आर्देशिर ईरानी ने विदेश में एक सवाक फिल्म देखी तो उन्हें भी भारत में सवाक फिल्में बनाने की प्रेरणा मिलीं। उन्होंने कई तरह की परेशानियों से निपट कर और संघर्ष करते हुए भारत की पहली सवाक फिल्म ‘आलम आरा’ बना ली। यह फिल्म संघर्षों से लड़ने और एक नई परंपरा डालने की सीख देती है, बिल्कुल उसी तरह जिस तरह निर्देशक आर्देशिर ईरानी ने सवाक फिल्मों का दौर शुरू किया।

संदर्भ पाठ

‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ – प्रदीप तिवारी (कक्षा 8, पाठ 11)


Other questions

पहली सवाक ‘आलम आरा’ फिल्म बनाते समय कोई संवाद लेखक और गीतकार क्यों नहीं था?

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions