पहली सवाक ‘आलम आरा’ फिल्म बनाते समय कोई संवाद लेखक और गीतकार क्यों नहीं था?

पहली बोलती यानि सवाक फिल्म ‘आलम आरा’ बनाते समय कोई भी संवाद लेखक और गीतकार इसलिए नहीं था, क्योंकि उस समय फिल्म में संवाद लेखक और गीतकार का नाम डालने का प्रचलन नहीं शुरु हुआ था। चूँकि ये भारत की पहली बोलती फिल्म थी। इसके लिए संवाद लेखक और गीतकार की पहली बार ही आवश्यकता पड़ी थी, लेकिन ये काम स्वयं निर्देशक आर्देशर ईरानी ने किया था। इसलिये उन्हे फिल्म में संवाद लेखक और गीतकार तथा संगीतकार का नाम नही डाला।

जब निर्देशक आर्देशिर ईरानी ने भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ बनाई तो उस समय उनका बजट बहुत सीमित था और उनके पास कोई संवाद लेखक और गीतकार नहीं था, ना ही संगीतकार था। यह पहली बोलती फिल्म थी और संवाद लेखक, गीतकार, संगीतकार इन भूमिकाओं की शुरुआत होने थी। इसीलिए आर्देशिर ईरानी ने फिल्म के गाने की धुन स्वयं बनाई थी और केवल तीन वाद्य यंत्रों तबला, हारमोनियम और वायलिन की सहायता से उनकी धुन और गाने तैयार किए थे। गीतकार और संगीतकार के रूप में किसी का नाम नहीं डाला गया। पार्श्व गायन का काम डब्ल्यूएम खान ने किया था। पहले बोलते गाने के बोल थे, ‘दे दे खुदा के नाम पर प्यारे, अगर देने की ताकत है’।

संदर्भ पाठ ‘जब सिनेमा ने बोलना सीखा’ (कक्षा 8, पाठ 11)


Other questions

धरती माता ऊँच-नीच का भेद क्यों नहीं करती ?

तताँरा-वामीरो कथा ने किस पुरानी प्रथा का अंत किया?

Chapter & Author Related Questions

Subject Related Questions

Recent Questions

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here