‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी के माध्यम से उन टूटते हुए पारिवारिक मूल्यों के बारे में बताया गया है, जो दो पीढ़ियों के बीच टकराव के कारण उत्पन्न होते हैं। यह कहानी पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच विचारों एवं जीवन शैली के टकराव की कहानी है।
इस कहानी के कहानी के सबसे मुख्य पात्र यशोधर बाबू पंत पारंपरिक विचारधारा और पुरातन पंथी सोच वाले व्यक्ति हैं। वह एक सरकारी दफ्तर में बाबू हैं। उनका जीवन सादगी वाले तरीके से बीता है, जबकि उनके बच्चे आधुनिक पीढ़ी के हैं, और आत्मनिर्भर भी बन चुके हैं। इसलिए अपने अनुसार जिंदगी जीना चाहते हैं। वे अपनी जीवन शैली अपनी विचारों के अनुसार ढालते हैं, अपने अनुसार मनचाहा खर्च करते हैं। जबकि यशोधर बाबू सोच-समझकर खर्च करने में यकीन रखते हैं।
बच्चे फैशनपरस्त हैं, जो पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में है, जबकि यशोधर सादगी पसंद है, और पारंपरिक भारतीय मूल्यों में विश्वास रखते हैं। इस कहानी में संयुक्त परिवारों में दो पीढ़ियों के बीच हो रहे टकराव की कहानी को वर्णित किया गया है, जहां पर परिवार का मुख्य कर्ता-धर्ता जो पुरानी पीढ़ी का है, वह अपनी संतान के लिए सब कुछ करता है और परिवार के सभी मुख्य निर्णयों में भागीदार रहा है। लेकिन उसकी वही संतान जब बड़ी हो जाती है तो वह ना तो परिवार के मुखिया को अपना सर्वे-सर्वा मानती है और ना ही उनकी बात मानती है। वह अपने अनुसार जिंदगी जीना चाहती है। परिवार का वह मुखिया खुद को उपेक्षित महसूस करता है। यशोधर बाब उसी मनोस्थिति से गुजर रहे हैं।
संदर्भ पाठ :
‘सिल्वर वेडिंग’ पाठ की कहानी मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखी गई एक सामाजिक कहानी है, जिसमें संयुक्त परिवारों में टूट रहे मूल्यों और पीढ़ियों के बीच टकराव को मुख्य आधार बनाया गया है। यशोधर इसी कहानी के मुख्य पात्र हैं। जिनका अपनी संतानों के साथ विचारों का टकराव होता है।
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