जय-जयकार किसकी होती है? (कविता – कोशिश करने वालों की हार नही होती)

जय-जयकार उन्हीं लोगों की होती है,  जो लगातार कोशिश करते रहते है, जो कर्म करते रहते हैं।  जो असफलता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं और संघर्ष करते हैं। जो संघर्ष का मैदान नहीं छोड़ते और संघर्ष करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। जो लोग निरंतर कोशिश करते रहते हैं, उन्ही लोगों की जय-जयकार होती है।

कवि सोहनलाल द्विवेदी अपनी कविता ‘कोशिश करने वालों की हार नहीं होती’ में कहते हैं…

असफलता एक चुनौती है, स्वीकार करो
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती

कवि कहते हैं कि कर्मयोगी की ही जय-जयकार होती है, जो लोग लगातार अपने कर्म में लगे रहते करते हैं, जो लोग असफलता से हार न मानकर उसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं। जो लोग अपनी गलतियों को पहचानते हुए उसे सुधार करते हैं और फिर कोशिश में जुट जाते हैं। जब तक उन्हे सफलता नही मिल जाती वह हार नही मानते और लगातार कोशिश में लगे रहते हैं। वे संघर्ष का मैदान छोड़कर नहीं भागते। ऐसे लोगों की सदा जय-जयकार होती है, क्योंकि लगातार कोशिश करने वालों को एक न एक दिन सफलता मिलती ही है। कोशिश करने वाले की कभी हार नही होती।


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