क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है। ‘राम-लक्ष्मण,परशुराम संवाद कविता के आलोक में इस कथन की पुष्टि कीजिए।

‘राम-लक्ष्मण, परशुराम संवाद’ कविता में क्रोध के नकारात्मक प्रभाव का स्पष्ट चित्रण किया गया है, जो यह दर्शाता है कि क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है। इस कविता में, परशुराम और लक्ष्मण के बीच का संवाद क्रोध के कारण तनावपूर्ण और विवादास्पद हो जाता है।

परशुराम जी अपने क्रोध में लक्ष्मण को बार-बार अपमानित करते हैं और अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं। इसके प्रतिक्रिया में, लक्ष्मण भी क्रोधित हो जाते हैं और परशुराम जी के पद और स्थिति की परवाह किए बिना उन्हें कटु और कठोर शब्द कहते हैं। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि क्रोध में दोनों पक्ष अपना विवेक खो बैठते हैं और एक-दूसरे को अपमानित करने लगते हैं।

इस स्थिति में, यदि विश्वामित्र जी और श्री राम जी अपने शांत और विनम्र स्वभाव का प्रदर्शन न करते, तो परिस्थिति और भी गंभीर हो सकती थी। उनके हस्तक्षेप ने तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और संभावित विनाशकारी परिणामों को टाला। यह दर्शाता है कि शांत और समझदार व्यवहार किस प्रकार क्रोध से उत्पन्न तनाव को कम कर सकता है।

इस प्रकार, यह कविता हमें सिखाती है कि क्रोध न केवल व्यक्तिगत संबंधों को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि समाज में भी अशांति और विवाद पैदा कर सकता है। इसलिए, हमें हमेशा अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए और परिस्थितियों को शांति और विवेक से संभालना चाहिए।


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