अकेली निहत्थी आवाज़ और ब्रह्मास्त्रों से तात्पर्य उस बिना हथियार के व्यक्ति की है, जिसका संसार में कोई बड़ा महत्व नहीं होता लेकिन फिर भी वह धर्म के विरुद्ध लड़ता है और ब्रह्मास्त्र अर्थात बड़े-बड़े महाशक्तियों के विरुद्ध संघर्ष करता है। वह अपना भविष्य ना जानते हुए कि आगे क्या होगा, यह ना सोच समझ कर भी अधर्म से लड़ने की कोशिश करता है और समाज के प्रभावशाली लोगों का सामना करता है ।’
टूटा पहिया’ कविता के माध्यम से कवि धर्मवीर भारती ने उदाहरण देते हुए अकेली आवाज के लिए अभिमन्यु को प्रतीक बनाया है, जो चक्रव्यूह में अकेले दुस्साहसी बनकर चक्रव्यूह में अकेले ही प्रवेश कर गया और उसने आधे चक्रव्यूह का तो भेदन कर लिया लेकिन आखिर में कौरव सेना के बड़े-बड़े महारथियों ने उसके सब अस्त्र-शस्त्र नष्ट कर डाले।
अभिमन्यु ये जानते हुए भी कि वो चक्रव्यूह से बाहर निकलने की विधि नही जानता है और चक्रव्यूह से बाहर नही निकल पायेगा, वह विरोधी पक्ष के लोगों से लड़ने के लिए चल पड़ा। उसी प्रकार भी आज का लघुमानव यानि आम आदमी भी यह जानते हुए भी उसकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जाएगा।
बड़े-बड़े प्रभावशाली लोग उसकी आवाज को दबाने का प्रयास करेंगे, फिर भी वह अत्याचार और गलत बात का विरोध करता है, संघर्ष करता है, अधर्म के विरुद्ध लगड़ता है। यहाँ पर अकेली निहत्थी आवाज उस आम आदमी का प्रतीक है और ब्रह्मास्त्र उन सभी महारथियों यानि प्रभावशाली लोगों का प्रतीक है।
संदर्भ कविता
टूटा पहिया – धर्मवीर भारती
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