जी हाँ, यह बिल्कुल सही है। ईश्वर के प्रति विश्वास करना उचित है, क्योंकि ईश्वर के प्रति विश्वास ही मनुष्य को धर्म के प्रति जागरूक करता है और सही तथा गलत की पहचान करना सिखाता है। लेकिन ईश्वर के प्रति विश्वास अंधविश्वास बन जाए और हम बेकार के आडंबर और पाखंड को अपनाने लगते हैं तथा धर्म के ठेकेदारों के जाल में फंस जाते हैं तब उचित नहीं होता।
धर्म के कुछ स्वार्थी ठेकेदार हमारी आस्था का गलत फायदा उठा अपने स्वार्थ की सिद्धि करते हैं। इसीलिए हमें अंधविश्वास एवं ईश्वर के प्रति विश्वास में भेद करना सीखना होगा। था। ‘हरिहर काका’ कहानी में ठाकुरबारी के महंत भी इसी प्रकार के धर्म के ठेकेदार थे। जो वास्तव में धर्म का पालन करना नहीं जानते थे। ठाकुरबारी के महंत जरूर बन गए थे, लेकिन वह वास्तव में धर्म के रक्षक नहीं थे बल्कि वह धर्म के भक्षक थे, जो धर्म के नाम पर भोले वाले ग्रामीणों का शोषण कर रहे थे और अपने स्वार्थ की सिद्धि कर रहे थे।
ठाकुरबारी का महंत यदि वास्तव में धर्म का सही पालन करने वाला होता तो वह हरिहर काका की जमीन को हथियाने का सोचता ही नहीं। लेकिन वो वास्तव में धर्म का सही पालन करने वाला व्यक्ति नहीं थी बल्कि धर्म की आड़ में एक सामान्य लालची एवं बेईमान व्यक्ति था जो दूसरों की संपत्ति अधिक से अधिक संपत्ति हथियाने के प्रयास में रहता था। हरिहर काका उसके आचरण को पहचान गए थे, इसीलिए उसके बहकावे में नहीं आए। हमें धर्म के ठेकेदारों से सावधान रहने की आवश्यकता है।