माता-पिता के प्रति संतान के कर्तव्य
माता-पिता संतान के लिए सबसे पूज्यनीय होते हैं। माता पिता अपनी संतान के लिए जो करते हैं उसका मूल्य नहीं चुकाया जा सकता। फिर भी संतान का यथासंभव होना चाहिए कि वह अपने कि वह यथासंभव माता पिता के प्रति अपने सभी जरूरी कर्तव्यों का पालन करें। एक संतान का माता पिता के प्रति क्या कर्तव्य होने चाहिए वह इस प्रकार है…
- संतान चाहे वह पुत्र हो अथवा पुत्री उसका प्रथम कर्तव्य बनता है कि वह अपने माता-पिता का पूर्ण आदर एवं सम्मान करें।
- संतान का अपने माता पिता के प्रति कर्तव्य बनता है कि वह अपने माता-पिता की कहीं और बात को माने।
- जीवन में कोई भी महत्वपूर्ण कार्य करने से पहले माता पिता की आज्ञा और सलाह लेना संतान का कर्तव्य है।
- संतान का कर्तव्य बनता है कि वह समाज में एक अच्छा मनुष्य बन कर दिखाएं, जिससे उसके माता-पिता को गर्व हो और वह समाज में सिर उठाकर जा सकें।
- संतान का माता पिता के प्रति कर्तव्य बनता है कि वह बुढ़ापा आने पर माता-पिता का पूरा ध्यान रखें और उनकी तन-मन-धन से सेवा करे।
- जब माता-पिता बूढ़े हो जाएं तो संतान को कभी भी अपने माता-पिता को असहाय नहीं छोड़ना चाहिए।
- संतान को अपने माता-पिता का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए।
- कोई भी विशिष्ट अवसर हो, कहीं बाहर जाना हो अथवा संतान बहुत दिनों के बाद कहीं बाहर से वापस घर आई हो तो माता पिता के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए।
- संतान को यह बात मन में पूरी तरह समझ लेनी चाहिए कि माता पिता की उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण संबंधी हैं। माता-पिता कभी भी अपनी संतान का अहित नहीं सोच सकते।
- अपने माता-पिता की सेवा करने में संतान को कभी भी संकोच नहीं करना चाहिए। माता-पिता की सेवा करने का कोई भी मौका कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
- वह संतान सच्ची संतान नहीं हो सकती, जिसने कभी अपने माता-पिता की सेवा नहीं की हो।
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