सूरदास ने अपने पदों के माध्यम से वात्सल्य और प्रेम रुपी जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठा प्रदान की है। सूरदास के पदों में माता यशोदा और श्रीकृष्ण के बीच माँ-पुत्र का वात्सल्य प्रेम प्रकट होता है।
माता यशोदा बाल श्रीकृष्ण के प्रति जिस तरह का वात्सल्य भाव प्रदर्शित करती हैं, वह वात्सल्यता की पराकाष्ठा है। उसी प्रकार श्रीकृष्ण अपनी बाल सुलभ लीलाओं से सभी का मन जिस तरह मोह लेते हैं। वह भी स्नेह और प्रेम को एक नई गरिमा प्रदान करता है।
सूरदास ने अपने पदों के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल सुलभ लीलाओं, हृदय को छू लेने वाले मनोभावों और उनके बुद्धि कौशल का सुंदरतम चित्रण किया है। श्रीकृष्ण का बात-बात पर रूठ जाना और माता यशोदा का द्वारा उनका मान-मनोहार करना और उन्हें मनाना एक सुंदर एवं अद्भुत दृश्य उत्पन्न करता है। इस तरह सूरदास ने अपने संकलित पदों के माध्यम से प्रेम, स्नेह एवं वात्सल्यता की महिमा का गुणगान किया है और इन्हीं जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठा प्रदान की है।
Other questions
लोगों ने भोर में बालगोबिन भगत का गीत क्यों नहीं सुना ?
पारिवारिक जीवन पालन करने वाले बालगोबिन भगत को साधु कहना कहाँ तक तर्क-सम्मत है?