‘दीवानों की हस्ती’ कविता हिंदी के प्रसिद्ध कवि भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित है। ‘दीवानों की हस्ती’ कविता में भगवतीचरण वर्मा ने एक गहरा और प्रेरणादायक संदेश दिया है। यह कविता उन लोगों की महानता को दर्शाती है जो अपने आदर्शों और सिद्धांतों के लिए जीते हैं। कवि ऐसे व्यक्तियों की प्रशंसा करता है जो अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर, समाज और देश के लिए त्याग और बलिदान करते हैं। यह कविता साहस, दृढ़ता और आत्मसम्मान के महत्व को रेखांकित करती है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य से नहीं डिगते।
कवि ने मानवता और करुणा के मूल्यों पर भी जोर दिया है। वे उन लोगों की महानता को दर्शाते हैं जो दूसरों के दुख में दुखी होते हैं और समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं। यह कविता स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के प्रति गहरा सम्मान व्यक्त करती है, जो न्याय और समानता के लिए संघर्ष करते हैं। इसके साथ ही, कवि एक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, यह बताते हुए कि ऐसे ‘दीवाने’ लोग ही समाज और देश को आगे ले जाते हैं।
अंत में, ‘दीवानों की हस्ती’ का मूल संदेश यह है कि जीवन का सच्चा अर्थ स्वार्थ से ऊपर उठकर, उच्च आदर्शों और मूल्यों के लिए जीने में है। यह कविता समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत के रूप में कार्य करती है, जो लोगों को अपने व्यक्तिगत हितों से परे, समाज और मानवता की सेवा के लिए प्रेरित करती है। यह हमें याद दिलाती है कि सच्ची महानता और जीवन का वास्तविक अर्थ दूसरों के लिए जीने और आवश्यकता पड़ने पर बलिदान देने में निहित है।
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