समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए केवल हमारे प्रयास से ही सब कुछ नहीं हो जाएगा। समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए किसी एकल व्यक्ति द्वारा बहुत कुछ नहीं किया जा सकता। गरीबों के जीवन स्तर सुधारने के लिए समाज के बड़े वर्ग को तथा सरकार को आगे आना होगा, तभी गरीबों का जीवन स्तर सुधारा जा सकता है। हम गरीबों के जीवन स्तर सुधारने संबंधी कुछ सुझाव दे सकते हैं, इसमें अपना यथासंभव योगदान भी हम दे सकते हैं।

समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए हमें सबसे पहले रोजगार के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराने होंगे। गरीबी का सबसे बड़ा एवं प्रमुख कारण बेरोजगारी होता है। यदि हर व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार पर्याप्त रोजगार मिल जाए जिससे उसका जीवन स्तर ठीक प्रकार चल सके तो समाज में गरीबी दूर हो सकती है। गरीबी का दूसरा मुख्य कारण अशिक्षा और अज्ञानता है।

इसलिए गरीबी गरीब को दूर करने तथा गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। साथ ही सरकार द्वारा ऐसा वातावरण निर्मित किए जाने की आवश्यकता है कि गरीब से गरीब व्यक्ति को भी आसानी से, सहज रूप से, सुलभता से शिक्षा प्राप्त हो जाए। गरीबी के अन्य कई छोटे-मोटे कारणों में नशाखोरी, गलत आदतें तथा धन की पीछने भागना भी होती है। यह सब कारण भी गरीबों को दूर करने के लिए उन्हें जागरूक करना आवश्यक है शिक्षा एवं रोजगार एवं शिक्षा यह तो सबसे ग़रीबी के सबसे प्रमुख कारण है यदि पर्याप्त रोजगार, शिक्षा उपलब्ध कराई जाए तो समाज में कोई व्यक्ति गरीब नहीं रहेगा और सभी व्यक्तियों का जीवन स्तर सुधर जाएगा।

इस तरह समाज में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए अंकित किए जा सकते हैं इन सभी प्रयासों में यथासंभव योगदान दे सकते हैं समाज के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह ऐसी व्यक्ति की अवश्य मदद करें जो किसी न किसी समस्या से पीड़ित है यदि बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है तो उसे पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने में उसकी सहायता करें अथवा अपने पास से धन आदि देकर उसे कोई छोटा-मोटा रोजगार आरंभ करने के लिए प्रेरित करें इस तरह हम अपने छोटे-छोटे नागरिक प्रयासों से गरीबों का जीवन सुधार सकते हैं। लेकिन गरीबों को जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर प्रयास करना होगा, तभी सार्थक बात बनेगी ।


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