‘कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी।’
अर्थ : इस उक्ति का तात्पर्य यह है कि भारत बहुल संस्कृति और भाषा की विविधता वाला देश है, यानी भारत में संस्कृत की विविधता से भरी हुई है और भारत में अनेक भाषाएं प्रचलित हैं। इसलिए एक कोस यानी हर लगभग तीन किलोमीटर के बाद भारत में संस्कृति और भाषण में थोड़ा बहुत परिवर्तन आ जाता है।
व्याख्या : यह उक्ति भारत की विविधता भरी संस्कृति को प्रकट करती है। इसमें बताया गया है कि भारत सांस्कृतिक विविधता से भरा होने बावजूद अनेकता में एकता को चरितार्थ करता है।
भारत एक संसार का ऐसा एकमात्र देश है, जिसमें अनेक संस्कृतियों हैं। अनेक तरह के खानपान, अनेक तरह की वेशभूषा है। भाषा के विषय में भी भारत में अनेक भाषाएं प्रचलित हैं। हर राज्य की अपनी भाषा है, अपनी संस्कृति है, अपना खान-पान है और अपनी वेशभूषा है। यह भारत की विविधता से भरी संस्कृति को प्रकट करता है। इसी कारण भारत में हर एक किलोमीटर के बाद संस्कृति, भाषा, वेशवूषा, खानपान आदि में थोड़ा बहुत परिवर्तन आ जाता है। यही भारत की बहुलवादी संस्कृति की विशेषता है और अनेकता में एकता का प्रतीक है।
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