रानी कर्णावती बाघ सिंह से गुजरात के शासक बहादुरशाह के साथ युद्ध होने वाले युद्ध के बारे में बात कर रही हैं।
महारानी कर्णावती मेवाड़ की महारानी थी। वह मेवाड़ के राजा महाराणा सांगा की पत्नी थी। महाराणा सांगा की मृत्यु हो चुकी थी और उसके बाद गुजरात का शासक बहादुर शाह अपनी शक्ति बढ़ाने की फिराक में था, इसीलिए उसने 1533 ईस्वी में चित्तौड़ पर आक्रमण मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया।
महारानी कर्णावती उस समय मेवाड़ की महारानी थी, इसलिए महारानी अपनी सेना से बहादुरी से युद्ध लड़ा, लेकिन उसकी सेना कमजोर पड़ने लगी। तब ऐसी स्थिति में रानी कर्णावती ने उस समय के मुगल शासक हुमायूं को राखी भेजकर उसे भाई बनाते हुए संधि करने का प्रस्ताव दिया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए मदद मांगी। ‘राखी का मूल्य’ कहानी में इसी घटना का वर्णन किया गया है।
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