बृजलाल गोयनका लाल बाजार पर 200 लोगों के जुलूस के साथ गिरफ्तार हुआ था। बृजलाल गोयनका कई दिनों से जुलूस की तैयारी के लिए कार्य कर रहा था। वह इससे पहले लेखक के साथ दमदम जेल भी जा चुका था और कई दिनों तक जेल में रहा था। जब 26 जनवरी 1931 को जुलूस निकाला जा रहा था तो वह डंडा लेकर वंदे मातरम बोलता हुआ मॉन्यूमेंट की ओर तेजी से दौड़ा। वहां पहुंचते-पहुंचते वह रास्ते में ही अपने आप गिर पड़ा। उसे एक अंग्रेज घुड़सवार ने लाठी मारी और उसे पकड़ लिया, फिर उसे दूर ले जाकर छोड़ दिया।
उसके बाद बृजलाल गोयनका स्त्रियों के जुलूस में शामिल हो गया, वहां पर भी अंग्रेजों ने पहले उसे पकड़ फिर छोड़ दिया। तब भी बृजलाल गोयनका नहीं माना और इस बार वह 200 आदमियों का जुलूस बनाकर लाल बाजार पहुंच गया और वहां पर अंग्रेजों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इस तरह वृजलाल गोयनका लाल बाजार पर 200 आदमियों के जुलूस के साथ गिरफ्तार हुआ।
‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ एक संस्मरणात्मक कहानी है जो 26 जनवरी 1931 नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कोलकाता में निकाले स्वाधीनता जुलूस के घटनाक्रम पर आधारित है। 26 जनवरी 1931 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदुस्तान में दूसरा स्वतंत्रता दिवस मनाया था। उससे पहले 26 जनवरी 1930 को उन्होंने हिंदुस्तान का पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया।