जूलिया का अपनी गृह स्वामी की हाँ में हाँ मिलाना बिल्कुल उचित नहीं था, क्योंकि ऐसा करके उसने गृह स्वामी को मनमानी करने की छूट दे दी थी।
इस संसार में बहुत अधिक सीधे बनकर रहने से भी कोई लाभ नहीं होता, क्योंकि लोग उसका अनुचित फायदा उठाने लगते हैं। ज्यादा सीधे बनकर यदि हर बात को स्वीकार कर लो कोई विरोध न करो तो लोग और अधिक दबाने लगते हैं। जूलिया ने भी ऐसा ही किया, उसने अपने गृह स्वामी की हर बात पर विश्वास किया और गृहस्वामी जो कहता था उसकी बात जूलिया मान लेती थी। इस तरह गृहस्वामी ने धोखे से उसके वेतन में से 10 रुपये काट लिए, क्योंकि उसके गृह स्वामी को पता था कि जूलिया कुछ नहीं बोलेगी। वह 2 महीने 5 दिन का काम कराके उसे केवल 2 महीने का वेतन देता है और रविवार की छुट्टियों के भी पैसे काट लेता है, लेकिन जूलिया कुछ नहीं कहती। यदि जूलिया गलत बात का विरोध करती तो गृहस्वामी की अपनी मनमानी करने की हिम्मत नहीं होता। किसी भी तरह की गलत बात को सहन करना उस गलत बात को बढ़ावा देना है। इसलिए जूलिया ने अपने गृहस्वामी की हाँ में हाँ मिलाकर सही नहीं किया। उसने अपने ऊपर हो रहे अन्याय और अत्याचार को बढ़ावा दिया।
संदर्भ पाठ
‘जूलिया’ (अंतोन चेखव) (कक्षा-9, पाठ-5)
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