चित्रगुप्त हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक हिंदू देवता हैं, जिनका मुख्य कार्य धर्मराज यानी परलोक के देवता धर्मराज के यहाँ पाप और पुण्य का लेखा-जोखा रखने का है। चित्रगुप्त धर्मराज के सचिव के तौर पर कार्य करते हैं। वह मृत्यु लोक यानि पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के द्वारा किए जाने वाले पाप और पुण्य का हिसाब रखते हैं।
जीव की मृत्यु हो जाने के बाद जब जीव की आत्मा परलोक गमन करती है, तो जीवन में किए उसके द्वारा किए गए पाप-पुण्य के आधार पर ही उसकी आत्मा को स्वर्ग अथवा नरक में जगह दी जाती है अथवा उसे मुक्ति दी जाती या उसे फिर मृत्युलोक में संसारिक बंधनों में भेजा जाता है। हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चित्रगुप्त भगवान ब्रह्मा की कई संतानों में से एक संतान हैं। वह भगवान ब्रह्मा के 14वें पुत्र माने जाते हैं। चित्रगुप्त परलोक यानी वह लोक जहाँ पर जीव की मृत्यु होने के बाद उसकी आत्मा जाती है, उस लोक में धर्मराज के सचिव हैं, जो सभी जीवों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा अपने पास रखते हैं। उनके पास मृत्यु लोक यानी पृथ्वीलोक के रहने वाले सभी जीवों के पापों का बही खाता है।
चित्रगुप्त को कायस्थों का इष्टदेव भी माना जाता है, क्योंकि वह ब्रह्मा के 13 ऋषि पुत्रों के बाद 14 पुत्र के रूप में उत्पन्न हुए जोकि कायस्थ कहलाए।
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