यदि सरदार पटेल ने रियासतों को भारतीय संघ में ना मिलाया होता तो आज हम भारत का जो संगठित स्वरूप देख रहे हैं, वह नहीं होता तब शायद आज का भारत वैसा भारत नहीं होता। भारत के कई भाग अलग-अलग स्वतंत्र रियासत के रूप में अस्तित्व में होते। इस तरह एक संगठित भारत का निर्माण नहीं हो पाया होता।
यह सरदार पटेल की कुशलता, राजनीतिक कूटनीति और दृढ़ निश्चयता ही थी, जिसके बल पर उन्होंने 1947 में भारत की आजादी के बाद लगभग 562 राजे-रजवाड़ो (रियासतों) को मिलाकर एक संगठित भारत के निर्माण में अहम योगदान दिया।
जब अंग्रेजों ने भारत को आजादी दी तो भारत के दो टुकड़े कर दिए, जिसे भारत और पाकिस्तान में बांट दिया गया। भारत के हिस्से में ब्रिटिश इंडिया के नाम से जो भूभाग आया उसमें ब्रिटिश इंडिया के अलावा अन्य कई छोटी-बड़ी राजवाड़े-रियासत आदि थे जो अंग्रेजों द्वारा शासित ब्रिटिश इंडिया के पूरी तरह अधीन नहीं थे बल्कि उनका प्रशासनिक ढांचा स्वतंत्र था। हालांकि कई मामलों में वह अंग्रेजों के अधीन भी थे।
भारत की आजादी के बाद अंग्रेजों ने उन सभी रियासतों को स्वतंत्र कर दिया और उन्हें अपनी इच्छाानुसार भारत के संग अथवा पाकिस्तान में शामिल होने अथवा स्वतंत्र रहने की छूट दे दी। यह स्वतंत्र राजवाड़े-रियासत यदि पूर्ण रूप से भारतीय संघ में नहीं मिले होते तो आज भारत जैसे विशाल देश का निर्माण नहीं हो पाया होता।
सरदार पटेल भारत की आजादी के बाद भारत सरकार में गृहमंत्री बने और उन्होंने यह निश्चय कर लिया था कि वह इन सभी छोटी-छोटी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल करेंगे और एक वृहद भारत का निर्माण करेंगे। अपने इस कार्य के लिए उन्हें कहीं पर जनमत संग्रह, कहीं पर विनम्रता, कहीं पर बातचीत, तो कहीं पर कूटनीतिक दृढ़ता और बल-शक्ति का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने हर तरह के प्रयास से इन छोटी-मोटे छोटे-बड़े सभी रियासत राजवाड़े को भारतीय संघ में शामिल करवा कर एक वृहद भारत के योगदान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसीलिए यदि हर सरदार पटेल ने रियासतों को भारतीय संघ में ना मिलाया होता तो हमारा हमारे भारत का यह वर्तमान स्वरूप सहित देखने को नहीं मिल पाता। बहुत सी रियासतें या तो स्वतंत्र ही रह जाती अथवा पाकिस्तान आदि के साथ भी शामिल हो सकती थी।
इसलिए भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप के निर्माण एकमात्र श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को जाता है।
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