‘नए निर्माण’ से कवि का तात्पर्य जीवन में लगातार हो रहे नए-नए परिवर्तनों से है।
‘नए इलाके’ कविता जो कवि ‘अरुण कमल’ द्वारा लिखी गई है, उसमें कवि के अनुसार नए निर्माण से कवि तक तात्पर्य हमारे आधुनिक जीवन में तेज गति से हो रहे परिवर्तन से हैं।
कवि आजकल के आधुनिक जीवन में बेहद तेज गति से हो रहे परिवर्तन के युग की बात करते हुए कहते हैं कि यह परिवर्तन इतनी तेज गति से हो रहा है कि मनुष्य इन परिवर्तनों को एकदम सहज रूप से स्वीकार भी नहीं कर पाता।
वह एक परिवर्तन को समझने का प्रतीक करता है और जब तक उसे पूरी तरह समझ आता है उससे पहले ही दूसरा परिवर्तन हो जाता है।
कवि का कहना है कि मनुष्य की बुद्धि की संरचना इस तरह होती है कि वह किसी भी तरह के परिवर्तन को धीरे-धीरे और सहज रूप से स्वीकार करता है, अचानक होने वाले किसी भी परिवर्तन को वह सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पाता जबकि आज का युग तेज गति वाला युग है।
बड़े-बड़े नगरों महानगरों में पल-पल, नित-नित परिवर्तन होते जा रहे हैं और मनुष्य उन परिवर्तनों को सहज रूप से स्वीकार नहीं कर पा रहा है। कवि के अनुसार जिन इलाकों को वह कुछ समय पहले जिस अवस्था में छोड़कर गया था कुछ समय बाद वापस आने पर उसे वह इलाके उसे अवस्था में बिल्कुल नहीं मिले और वहां पर पूरी तरह परिवर्तन हो चुका था।
जिन जिन पुराने मकानों को छोड़कर उस समय पहले वह जहाँ से गया था वापस आने पर उन पुराने मकान की जगह नए-नए आलीशान मकान खड़े दिखाई दे रहे हैं। आलीशान मकानों को देखकर कवि के मन में कभी-कभी यह भ्रम उत्पन्न हो जाता था कि कहीं वह किसी गलत जगह तो नहीं आ गया लेकिन बाद में उसे पता चलता है कि वह सही जगह पर आया है, लेकिन बस अंतर केवल इतना है कि उस इलाके में नए निर्माण हो चुके हैं अर्थात जीवन में तेज गति से परिवर्तन हो चुका है।
कवि स्वयं इस तेज गति से होने वाले परिवर्तनों को देखकर अचंभित है। कवि के अनुसार जीवन में आगे बढ़ाने के लिए इन नए-नए परिवर्तनों को स्वीकार करना चाहिए ताकि हम समय के साथ चल सकें।